Posted by: Birkhe_Maila September 29, 2006
सायरी
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Few lines from Ghulam Ali एक दिया दिलमे जलना भि बुझा भि देना याद करना भि उसे रोज भुला भि देना क्या कहुँ ये मेरि चाहत है कि नफरत उसकि नाम लिखना भि मेरा, लिखके मिटा भि देना मस्तिभरि नजरका नशा है मुझे अभि ये जाम दुर रख दो पिलुंगा फिर कभि हमने तो अश्क पि के, गुजारि है सारि उम्र तुम से खफा है किसलिए, आखिर ये जिन्दगी वहि पलकोँका झपकना वहि जादू तेरे सारे अंदाज चुरा लाई है खुशबु तेरे और कुछ देर अगर तेज हवा चलति रहि मेरि बाहोँ मे बिखर जाएंगे केशु तेरे
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