Posted by: Birkhe_Maila September 10, 2006
~ ~ चौतारी महोत्सब~ ~
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हन, जुन दिन पनि राति मै बुडो मात्तै हुँदोरहेछु चौतारीआँ!! एउडा गजल गाउनु परो। थोडि सि पि शराब थोडि उछाल दि कुछ इस तरह से हमने जवानी गुजार दि मै चुर हुँ नशेमे मुझे कुछ खबर नहिँ मुझपे निगाह ए' शोख कब तुमने डाल दि हमने सिया है ईश्कमे होठोँको इस तरह जिसने भि दि जहाँमे हमारि मिसाल दि अब डर नहिँ किसिका जमाने मे दोस्तोँ हमने तो दुश्मनि भि मुहब्बतमे ढाल दि यु मुझको था तुम्हारे हि आनेका ईन्तजार गुमनाम हमने मौत भि रसते मे टाल दि
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