Posted by: nepalean September 7, 2006
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ल यो चाइ उराठ जिन्दगी जिउने प्रती सम्रपित ।
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न खाने रोटी न पिउने पानी
कसरी जिउने यो जिन्दगानी
म मर्दा जाने छैन मलामी
न सहिद हुदा पाउछु सलामी
न बाच्दा सार न मर्दा भार
कठोर जिबन एक्लो चित्कार
छैन सेवा न केइ आभार
जिउने सासलाइ न छ सत्कार
खोटो जिबन खालि निधार
सुन्य कर्म जन्म धिक्कार