Posted by: vishontar August 15, 2006
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कभी देबकोटाको कुच कहा तो आप नाराज हो बैठे।
तौवा! अवकितो गालवको गालिया वर्साते महफिलमे आपका साथ देने आए हैं।
बत्तमिजी मुआफ करना जनाब, नादान है, सायर सायरी क्या जाने।
हमतो युँही टुटी फुटी उर्दुमे दो वात देने आए है।।
अबतक आपके लिए बुद्द दर्शन ही तो कहरहे थे जनाब,
इसी बाहाने आपसे मुलाकात लेन आए है।।