Posted by: Birkhe_Maila August 15, 2006
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वाह! विष्णुअवतारजी! अल्फाजें चुनते चुनते बिते दिन, खयालौं मे खोते खोते रात बिते। हकिकतकी नजरों से देखा तो जिन्दगी महज इक गम निकला।। एउटा शेरले सम्पूर्ण गिता वर्णन गरेको जस्तो भयो! गजब छ!
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