Posted by: vishontar August 15, 2006
Nepe's book on the web
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अल्फाजें चुनते चुनते बिते दिन, खयालौं मे खोते खोते रात बिते। हकिकतकी नजरों से देखातो जिन्दगी महज इक गम निकला।। हकिकतसे डरकर खयालों मे छिपाया खुदको। गालिब तेरे हातों सेहि तेरी जिन्दगीका दम निकला।। :)!
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