Posted by: KaLaNkIsThAn July 30, 2006
Another song playin in my mind.. [continued]
Login in to Rate this Post:     0       ?        
-- Mitawaa -- मेरे मन ये बता दे तु, किस ओर चला हैं तु क्या पाया नही तुने, क्या ढुंढ रहा हैं तु जो हैं अनकही जो हैं अनसुनी वोह् बात क्य हैं बता मितवा, कहे धडकने तुझसे क्या मितवा, ये खुदसे तो ना तु छुपा जीवन डगर मे, प्रेम नगर मे आया नजरमे जबसे कोई है तु सोंचता हैं तु पुछता हैं जिसकि कमी थि क्य ये वोहि हैं हाँ ये वोहि हैं हाँ ये वोहि हैं तु एक प्यासा और ये नदी हैं काहे नही इसको तु खुलके बताये जो हैं अनकही जो हैं अनसुनी वोह् बात क्य हैं बता मितवा, कहे धडकने तुझसे क्या मितवा, ये खुदसे तो ना तु छुपा तेरी निंगाहे पा गई राहें, पर तु ये सोंचे जाँउ न जाँउ ये जिन्दगी जो हैं नाँचती तो क्यूँ बेडियों मे हैं तेरे पाँव प्रीत कि धून पर नाचले पागल उढता अगर हैं उढने दे आँचल काहे कोहि अपनेको यैसे तडपाए जो हैं अनकही जो हैं अनसुनी वोह् बात क्य हैं बता मितवा, कहे धडकने तुझसे क्या मितवा, ये खुदसे तो ना तु छुपा Lyrics: Jaaved Akhtar (KANK)
Read Full Discussion Thread for this article