Posted by: Birkhe_Maila April 8, 2006
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गुलाम अली -
बिखरती जुल्फकी परछाईयाँ मुझे देदो
तुम अपनि शामकि तन्हाइयाँ मुझे देदो
ये लहर लहर बदन टुट भि नजाए कहिँ
तुम्हारे हुस्न कि अंगडाइयाँ मुझे देदो
मै तुमको याद करुँ और तुम चले आओ
मुहब्बतोँकी ये सच्चाइयाँ मुझे देदो
मै डुब जाउँ तुम्हारी ऊदास आखोँमे
तुम अपनि दर्दकि गहराइयाँ मुझे देदो
बिखरती जुल्फकी परछाईयाँ मुझे देदो
तुम अपनि शामकि तन्हाइयाँ मुझे देदो