Posted by: Birkhe_Maila February 9, 2006
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गुलाम अली-
थोडि सी पि शराब थोडि ऊछाल दी
कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी
हमने सिया है इश्कमे होठोँको इस तरह
जिसने भि दी जहाँमे हमारि मिसाल दी
अब डर नहिँ किसिका जमाने मे दोस्तोँ
हमने तो दुश्मनी भि मुहब्बतमे ढाल दी
मै चुर हुँ नशेमे मुझे कुछ खबर नहीँ
मुझपे निगाहेँ शोख कब तुमने डाल दी
युँ मुझको था तुम्हारे हि आनेका इन्तजार
गुमनाम मैने मौत भि रस्तेमे टाल दी