Posted by: ladyinred February 1, 2006
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सम्झ ने पनि हजार भेटें
बिर्सने पनि हजार भेटें
हिरा बनेर कांच जस्तै
चर्कने पनि हजार भेटें
चाकडीका शब्द घोली भजन नगर अब
चाप्लुसीका गीत गाउने चलन नगर अब
घृणा कसैले गरेर को भो ?
आंखा कसैले तरेर के भो ?
- रबि प्रान्जल (उहि बाढी उही भेल)
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Cool...I like this... :)