Posted by: Gautam B. September 22, 2005
GOTAMEKO GANGAN
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दादा, जापान त हो तर नागोया। यता नेसाजको गतिबिधि देखेको छैन। साँच्चिकै हाइकु त पण्डितजीले लेख्नु हुँदो रहेछ। गुरु थापेँ है। शीर्षक जुराईदिएकोमा टे डा जीलाई धन्यवाद। तर यो शीर्षक अलि क्लिष्ट भएन र!
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