Posted by: shree5 August 3, 2005
Likheko Janti Bakhro
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हे 'री, बल्ल परो नीरमया माकुरी जालैमा, बल्ल चिलाए जान्नी मुन्छेका हात, कम्ती रमाइलो हुनी भ 'न ह्याँटी ।अब त, मकाई का, हैन, के नाम, जुनेला का फुला उठे जैं जानी होलान् नी कथाका कुम्ला । ब्या को कुरोले मनै कटक्क खाओ, दादा, मौकाँ ईत्ति घुसाम् है आकास फुल्यो जुन ताराले गाम बेंसी तोरीले के मया लाम्छेउ साहूकी छोरीले आ है ... के मया लाम्छेउ साहूकी छोरीले... जय शम्भो कैलाशपतिकी गुल्ट्याम्, माडम् (Lets keep rolling...) - http://sajha.com/sajha/html/openThread.cfm?forum=2&ThreadID=22921
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