Posted by: deeps June 11, 2005
Ma Aauchu
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स्वतंत्रता का दीपक घोर अंधकार हो, चल रही बयार हो, आज द्वार द्वार पर यह दिया बुझे नहीं। यह निशीथ का दिया ला रहा विहान है। शक्ति का दिया हुआ, शक्ति को दिया हुआ, भक्ति से दिया हुआ, यह स्वतंत्रतादिया, रुक रही न नाव हो, ज़ोर का बहाव हो, आज गंगधार पर यह दिया बुझे नहीं! यह स्वदेश का दिया प्राण के समान है! यह अतीत कल्पना, यह विनीत प्रार्थना, यह पुनीत भावना, यह अनंत साधना, शांति हो, अशांति हो, युद्ध, संधि क्रांति हो, तीर पर, कछार पर, यह दिया बुझे नहीं! देश पर, समाज पर, ज्योति का वितान है! तीनचार फूल है, आसपास धूल है बाँस है, बबूल है, घास के दुकूल है, वायु भी हिलोर से, फूँक दे, झकोर दे, कब्र पर, मजार पर, यह दिया बुझे नहीं! यह किसी शहीद का पुण्य प्राणदान है! झूमझूम बदलियाँ, चूमचूम बिजलियाँ आँधियाँ उठा रहीं, हलचलें मचा रहीं! लड़ रहा स्वदेश हो, शांति का न लेश हो क्षुद्र जीतहार पर, यह दिया बुझे नहीं! यह स्वतंत्र भावना का स्वतंत्र गान है! - गोपालसिंह नेपाली
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