Posted by: KaLaNkIsThAn January 20, 2005
SoNg pLaing in my mind II
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___________________________________________________________________dil se एक सुरज निकला था कुछ तारा पिघला था एक आंधी आई थि जब दिलसे आह निकली थि दिलसे रे ऽऽऽऽऽऽऽ दिलसे रे, दिलसे रे दिलतो आखिर दिल है ना मिठीसि मुस्किल है ना पिया पिया, पिया ना पिया, जिया जिया जिया ना जिया दिलसे रे दो पत्ते पतझडके पेडोंसे उतरे थे पेडोंकि साखोसे उतरे थे फिर उडते मौसम गुजरे, वो पत्ते दो बेचारे फिर उडनेकि चाहतमे वो शेहेराओसे गुजरे वो पत्ते दिल दिल दिल थे वो दिल थे दिल दिल दिल थे दिल है तो फिर दर्द होगा दर्द है तो दिल भि होगा मौसम गुजरते हि रहते है दिलसे रे दिलसे रे ऽऽऽऽऽऽऽऽ बन्धन है रिस्तो मे काँटोकि तारें है पत्थरके दरवाजे, दिवारें बेलें फिरभि उगती है और गुलशन भि खिल्ते है और चल्ते है अफसाने, किरदार भि मिल्ते है वो रिस्ते दिल दिल दिल थे वो दिल थे दिल दिल दिल थे गम दिलके पर चुलबुले है, पानीके ये बुलबुलें है बुझते है बनते हि रहते है दिलसे दिलसे दिलसे दिलसे रे ऽऽऽऽऽऽ -- AR Rahman--Gulzar
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