Posted by: Nepe December 30, 2004
Lost baggage of Dipendra Bhujel
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ल पुरा गीत सुनम.... Indeed a great lyrics. For originality, tone and romance. Note that the poet has not used the words मोहब्?बत or महबुबा even a single time, without which our fellow lyricists can not compose a single romantic song मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पडा हैं सावन के कुछ भीगे भीगे दिन रखे हैं और मेरे एक खत में लिपटी रात पडी हैं वो रात बुझा दो, मेरा वो सामान लौटा दो पतझड हैं कुछ, हैं ना .... पतझड में कुछ पत्तो के गिरने की आहट कानों में एकबार पहन के लौटाई थी पतझड की वो शाख अभी तक कांप रही हैं वो शाख गीरा दो, मेरा वो सामान लौटा दो एक अकेली छत्री में जब, आधे आधे भीग रहे थे आधे सुखे आधे गीले, सुखा तो मैं ले आई थी गिला मन शायद, बिस्?तर के पास पडा हो वो भीजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो एक सौ सोलह चाँद की राते, एक तुम्हारे काँधे का तील गीली मेहंन्दी कि खुशबू और झुठमुठ के शिकवे कुछ झुठमुठ के वादे भी सब याद करा दो सब भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटादो एक इजाजत दे दो बस जब इसको दफनाउंगी मै भी वही सो जाउंगी मै भी वही सो जाउंगी And as a free promotion of my upcoming novel, here is the back cover (tentative design) of the book
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