Posted by: pandeyji December 30, 2020
द!
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द से दिल भी होता है
द से दुनिया भी
द से दौलत भी
द से दस्तुर भी
द से दुवाएं
द से दोस्त भी
द से दीवानापन भी
अब द से ये दीवानापन छोड दो
तो चलो द से कहीं दुर चलते है
यहाँ द से मेरा दम घुट जा रहा है

- देवदास (छिमेकि राष्ट्र को एक उपन्यास)
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