Posted by: Madness December 28, 2009
चौतारी ~१७०~
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खुसिया सुन्द्रि हमको ईगनाँर कियो


जे राम जि कि, परनाम  हमि सभिसे बोले थियो


गपसाँपके ढोका हमि आठ मिनट पहले खोले थियो


उसके हँसिके इन्तजार हमि बार बार कियो


पर कथि करने  खुसिया सुन्द्री हमको ईगनाँर कियो


जे राम जि कि।

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