Posted by: Birkhe_Maila July 20, 2010
~ चौतारी १९६ ~
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गन्नुभाई- "अबे वो भुतनि के काणा!"


रिठे काणा- "ज् ज् जि गन्नुभाई!"


गन्नुभाई- 'अबे ये सब चौतारीके पब्लिक लोगको क्या हो गेला? अबे बोले तो आइटम लोग, आन्टि लोग सबके सब अपनि खोलिके अन्दर छिपके काहे कु बैठेला है?"


रिठे काणा- "गन्नुभाई वो छोकरा लोग और अंकललोग भि ज्यास्ति नक्को है आजकल!"


गन्नुभाई- " ये सब काहे कु रे?"


रिठे काणा- "भाई वो बोले तो अपुनका राहुल डाक्टर हैन न भाई..."


गन्नुभाई- "कौन राहुल डाक्टर रे?"


रिठे काणा- "भाई वहि जिसकि आप गेम बजाते बजाते रुकगेले थे पिछले सालको!"


गन्नुभाई- "अबे हाँ याद आया, क्या किया रे वो नासपिटे?"


रिठे काणा- "भाई वोले त वो डाक्टरको जवानि सुझरेलि है!"


गन्नुभाई- "अबे निचेसे निकलेली हवा, जवानि क्या सिरफ तेरे कु हि सुझने का है?"


रिठे काणा- "भाई आप भि न, अब वो राहुल डाक्टर तो अपुनसे ज्यास्ति घोडा खिलाया है न, वोले तो अपुनसे ज्यार्ति बडा है न लगभग बुढे कि माफिक, तो उसको जवानि सुझके ए सब होगेला!"


गन्नुभाई- "अबे किचडके बौछार, काहेकु इन्स्टालमैन्टमे बात कररेला है, पुरे के पुरे बक् नहिँ तो अब्बि के अब्बि टेँटुवा दबा देंगा अपुन!"


रिठे काणा- " वहि बोलरेला था भाई, वो राहुल डाक्टर, जवानिके  ऐसा करारा पायम लिखके सब् के सब् साझा गलिके नुक्कड नुक्कडपे पिचकाके आरेला है, कि साला जो बि पढ्ता है पसिने से भिँग जाता है!"


गन्नुभाई- "तो?"


रिठे काणा- " तो सबके सब आईटम लोग और आन्टि लोग बोले तो शरम से पानी पानी हो के खोलिके अन्दर! और सब के सब छोकरा लोग वहि पायम बोल बोलके छोकरि पटानेको बाहर!


गन्नुभाई- "हम्म! तु एक पैग बना और मेरेको वहि पायम सुना रे जल्दी!"

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