Posted by: kalomanche May 3, 2009
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जिन्दगी है धुवा तो क्या?
बुझ गयी हर शुभ तो क्या?
रूठा मुझसे खुदा तो क्या?
हो गये हम जुदा तो क्या?
वक्त के थे हजारो इम्तिहान
फिर भि बनके निशान
तेरे होठोके किसी कोनेमे, हसीन कि तरह मै मेह्फुज हू ।
मेरे आँखो के छिपे दर्द मै, आसुँ कि तरह तु मेह्फुज है ।
मेरे केशु के उडे पन्नो मै, यादो कि तरह तु मेह्फुज है ।।
बुझ गयी हर शुभ तो क्या?
रूठा मुझसे खुदा तो क्या?
हो गये हम जुदा तो क्या?
वक्त के थे हजारो इम्तिहान
फिर भि बनके निशान
तेरे होठोके किसी कोनेमे, हसीन कि तरह मै मेह्फुज हू ।
मेरे आँखो के छिपे दर्द मै, आसुँ कि तरह तु मेह्फुज है ।
मेरे केशु के उडे पन्नो मै, यादो कि तरह तु मेह्फुज है ।।
Last edited: 03-May-09 11:09 PM