[Show all top banners]

bikash kc
Replies to this thread:

More by bikash kc
What people are reading
Subscribers
Subscribers
[Total Subscribers 1]

$88888888$
:: Subscribe
Back to: Kurakani General Refresh page to view new replies
 STRICE NEPALI DRESS CODE IN DARJEELING............
[VIEWED 1531 TIMES]
SAVE! for ease of future access.
Posted on 08-24-08 10:48 AM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     0       ?    
 

पहाड़ियों में अब गोरखा ड्रेस कोड
 

 
 
पारंपरिक पहनावा
इलाके के लोगों को एक महीने तक पारंपरिक गोरखा पहनावे में रहने को कहा गया है
इस साल दुर्गापूजा की छुट्टियों के दौरान पहाड़ियों की रानी दार्जिलिंग की सैर पर आने वाले सैलानियों को प्राकृतिक सौंदर्य के अलावा एक अनूठी बात देखने को मिल सकती है. हो सकता है कि उन्हें यहाँ के तमाम लोग एक जैसे कपड़ों में नजर आएं.

तेज़ी से बदलते फ़ैशन के लिए मशहूर इन पहाड़ियों के तमाम लोग महीने भर तक पारंपरिक गोरखा पहनावे में नज़र आएंगे. लेकिन ऐसा किसी ख़ास त्योहार के लिए नहीं बल्कि गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के ताज़ा फ़रमान की वजह से होगा.

इन पहाड़ियों में अलग गोरखालैंड राज्य की मांग में आंदोलन करने वाले मोर्चे ने इस सप्ताह जारी अपने ताज़ा निर्देश में इलाके के तमाम लोगों को सात अक्तूबर से सात नवंबर यानी एक महीने तक पारंपरिक गोरखा पहनावे में रहने को कहा है.

यह पहनावा गोरखा लोगों के लिए ही होगा. जो गैर-गोरखा हैं वे धोती-कुर्ता के अपने पारंपरिक पहनावे में रहेंगे. छात्र-छात्राओं को इससे छूट दी गई है.

आधुनिक कपड़े प्रतिबंधित

इसका मतलब है कि महीने भर तक इलाके में जींस-टॉप और दूसरे आधुनिक कपड़े नज़र ही नहीं आएंगे. गोरखा पुरुष ‘दावरा-सुरूवाल’ और नेपाली टोपी पहनेंगे और महिलाएं ‘चौबंदी-फारिया.’

गोरखा रॉक बैंड
इस एक महीने के लिए दार्जिलिंग के रॉक बैंड को भी प्रतिबंधित किया गया है

मोर्चा के अध्यक्ष विमल गुरंग कहते हैं, "अक्तूबर से नवंबर तक इन पहाड़ियों में पर्यटन का सीज़न रहता है. हम पर्यटकों को दिखाना चाहते हैं कि दार्जिलिंग विभिन्न संस्कृतियों का अनूठा संगम है. विभिन्न संस्कृतियों के बावजूद इलाके में सदभाव और एकता है."

वे कहते हैं, "यहां आने वालों के लिए यह एक नया और अनूठा अनुभव होगा जो उनको आजीवन याद रहेगा."

इस फ़रमान से साफ़ है कि मोर्चा इस इलाके में समानांतर सत्ता चलाने का प्रयास कर रहा है. हालांकि गुरंग ऐसा नहीं मानते. वे कहते हैं, "पर्यटकों को शांति और भाईचारे का संदेश देने और इलाके के लोगों में एकरूपता पैदा करने के लिए ही हमने लोगों से पारंपरिक पहनावा पहनने को कहा है."

इलाके में बहस

मोर्चे के प्रचार सचिव विनय तामंग कहते हैं, "हमने इलाके के तमाम होटल मालिकों को सितंबर से ही अपने होटलों को पारंपरिक तरीके से सजाने को भी कहा है. वहां विभिन्न तबकों के लोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे. इससे यहां आने वाले पर्यटकों का दौरा यादगार बन जाएगा."

पारंपरिक नृत्य
कुछ लोग मानते हैं कि इससे युवा पीढ़ी में अपनी संस्कृति से लगाव बढ़ेगा

मोर्चे ने तमाम नगरपालिकाओं को भी शहरों और सड़कों की सफ़ाई का निर्देश दिया है.

इस ताज़ा फ़रमान ने इलाके में बहस छेड़ दी है. कुछ लोग मानते हैं कि इससे युवा पीढ़ी में अपनी संस्कृति से लगाव बढ़ेगा तो कुछ का कहना है कि महीने भर तक ड्रेस कोड लागू करना ठीक नहीं है.

दार्जिलिंग के चौक बाजार में टीसी थापा कहते हैं, "इससे लोगों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा. महीने भर के लिए लोगों को कम से कम तीन-चार सेट कपड़े बनवाने होंगे. इन पारंपरिक कपड़ों को पहन कर रोज़मर्रा का काम करना मुश्किल भी होगा."

भूटान का फ़रमान

लेकिन कालिम्पोंग के 76 वर्षीय दिल बहादुर गुरुंग कहते हैं, "यह ठीक है. इससे पाश्चात्य रंग में रंगी युवा पीढ़ी में अपनी संस्कृति और परंपरा के प्रति कुछ लगाव पैदा होगा."

इससे पहले 16 जनवरी, 1989 में भूटान में भी भूटान नरेश की ओर से जारी फ़रमान में लोगों के लिए पारंपरिक पोशाक पहनना अनिवार्य कर दिया गया था. तब इसका काफी विरोध हुआ था. इसके विरोध में गैर-भूटानी लोगों का बड़ी तादाद में वहां से पलायन हुआ था.

पारंपरिक परिधान में नृत्य
मोर्चा ने तमाम नगरपालिकाओं को भी शहरों और सड़कों की सफ़ाई का निर्देश दिया है.

गोरखा मोर्चा ने इलाके में तमाम वाहनों की नंबर प्लेटों पर डब्ल्यूबी (पश्चिम बंगाल) की जगह जीएल (गोरखालैंड) लिखना अनिवार्य कर दिया है. सिर्फ ज़िला शासक की कार को इससे छूट दी गई है. अब इस ताज़ा फ़रमान पर एक बार फिर विवाद तय है.

राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि इस मुद्दे पर विवाद बढ़ने से अगले सीज़न में पर्यटक दार्जिलिंग को दूर से ही टा-टा कर सकते हैं. ऐसे में मोर्चे का यह दांव उल्टा पड़ सकता है.

 
 
 
 
 

 
Posted on 08-24-08 10:50 AM     Reply [Subscribe]
Login in to Rate this Post:     0       ?    
 

TITLE OF THE THREAD SHOULD HAVE BEEN " STRICT NEPALI DRESS CODE......................."

 

Last edited: 24-Aug-08 10:51 AM

 


Please Log in! to be able to reply! If you don't have a login, please register here.

YOU CAN ALSO



IN ORDER TO POST!




Within last 7 days
Recommended Popular Threads Controvertial Threads
TPS Re-registration case still pending ..
whats wrong living with your parents ?
Now Trump is a convicted criminal .
Shot Dead
cannot accept Visa candidates
" अनि ग्रिन कार्ड बन्यो त ?"
NOTE: The opinions here represent the opinions of the individual posters, and not of Sajha.com. It is not possible for sajha.com to monitor all the postings, since sajha.com merely seeks to provide a cyber location for discussing ideas and concerns related to Nepal and the Nepalis. Please send an email to admin@sajha.com using a valid email address if you want any posting to be considered for deletion. Your request will be handled on a one to one basis. Sajha.com is a service please don't abuse it. - Thanks.

Sajha.com Privacy Policy

Like us in Facebook!

↑ Back to Top
free counters