Posted by: Nepalialways1 October 2, 2014
बिजय दशमीको शुभकामना
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ओह!  आधारातमा  यो  ढोका  कसले  ठटायो
यो  निद्राको  दुश्मन  को  बनि  आयो

हतारिदै   अन्धकारमा  के   खुल्यो  ढोका 
निस्सासिदै मुटुबाट ओर्लिए  डरको  पोका

बटुलेर  साहस  को  हो  मेरो  द्वारमा
म  तेरै  अंस   हुँ  एकै  स्वोरमा

न  कोइ  आफन्त  यो  बिरानो  सहरमा
को  गर्छ  रेला   अनिदो  प्रहरमा

मंगल  धुन  छिरे  कापा  बाट
दस  दिन  बस्छु  खोइ  मेरो  खाट

बिर्सिसके  मैले  ति  दिन  रात
अलग्गै  भैसक्यो  अब  मेरो  जमात

के  निकालिस  आँखाबाट    दृस्टी
नझरी  सुर्य  फेरी  चल्छरे  स्रिस्टि

अस्तित्व   मेरो  कागजले  थिचे
मेट्दैछु  नाम  पानै   पिछे

स्वासमा  अझै  त्यही  पानि  गनाउछ
स्वोर्गमा  सुँगुरले पनि जातै   जनाउछ
बिर्सिकन फेरी  किन  बोलाउछस 
हरियो  घास हेरी  के  खान  टोलाउछस

ति  त  हुन्  अचेत  मनका  अवाज 
होसमा  त  भुली  सके  ति  रिवाज

ल  ठिक  छ  अब  होस्  नखोल्नु
हरियो  कागज  मै  ति  अतित  पोल्नु 

खुल्यो होस् एक्कासी फक्रियो नयन
ओह कस्तो देखे यो  आज सपन

खेर गयो कोशिश ऒस लाग्यो सान
सकिएन  भुल्न  ति  पवित्र  तान
जहाँ  पुगोस  पाइला  जस्तो  होस्  जमाना
धरै  छैन  मनमा न  पस्कि शुभकामना
बिजय दशमीको शुभकामना
Last edited: 02-Oct-14 12:43 PM
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