Posted by: ritthe July 16, 2010
~ चौतारी १९६ ~
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जिन्दगी के सफर मै गुजर जाते है जो मुकाम
वो फिर नही आते वो फिर नही आते


भने पछी सुनार को सय चोट लोहार को एक भने झै गरेछन होटेल मालिक ले हैन त प्रभात जी?


रामे, लहरे, ठुल्दाइ सबैमा साझाकै सबैभन्दा सोझो रिट्ठे को सोबर नमस्ते !


                                         

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