Posted by: crazy_love June 22, 2010
~ चौतारी १९२ ~
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रिट्ठे,


मरी ने धुन, तिमीले के खायौ त हन्तकाली? हे हे!


ओहो हाकु मै, गन? माया मारेको त छैन होला नि!


आज त गति परियो, दीप ज्यु को दर्शन पाइयो। लौ स्वस्ति टक्राये।


अनि रामे, तिम्रो नयाँ बर्षको प्रोग्राम के हुँदैछ? सकियो कि आँउदैछ?

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