Posted by: serial December 22, 2009
~चौतारी १६९~
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पातकी बुढा जे लेख्नु छ लेखे हुन्छ, धेरै दिन छैन तिम्रो -


ल अर्को सायरी


मस्त नजरो से देख लेना था
अगर तमन्ना थी आजमाने कि,
हम तो बेहोश यू ही हो जाते
क्या जरुरत थि मुस्कुराने कि,

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