Posted by: Birkhe_Maila December 7, 2009
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पुरामायण। सुन्तली काण्ड॥॥
श्लोक॥१॥:
पुरेन्द्र उवाच-
मोजछेत्रे हस्तिनापूरे तेत सुन्तली देख्भ्याम।०।
सुन्तली देखनासाथै तन्तु तन्तु फडफडाभ्याम।१।
तेतन अहम पुरेन्दर स्पेलवाउन्ड भएभ्याम।२।
दाह्रि जुङ्गा काटान्तनि थुतुनादि चिल्लाभ्याम।३।
सुन्तली उवाच-
एजसुनएज पुरेन्दर चिल्ला गाला देखन्ती।०।
अहम सुन्तली रोमांचभई नजर बाण खेल्नती।१।
तत्कालै पुरेन्द्र बौचाको समग्र काँपन्ती।२।
अहम बुझन्ती और संसार उज्यालो करन्ती।३।