Posted by: Deep November 5, 2009
-चौतारी १६३-
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जिम्माल ए गब्बर  : अरे ओ बैरे, कितने इनाम रख्हे है सरकार हम पर ? -- बेलायति पाउण्ड मै बोलनेका सम्झा ना? थोडा रबाफ मांगता है अपुन -- ससुरी रुपैया मै दम ही नही ---



बैरे ए साम्भा  :  पुरे पान सो --
 
जिम्माल ए गब्बर  : क्या? !! 



बैरे ए साम्भा  : माइ बाप, रुपया लुढक गया -- और ससुरी पाउण्ड आस्मान पे है -- उ बखत के पचास् हजार दो कौडीका हो गया --



जिम्माल ए गब्बर  : बहुत नाईन्साफि है यह् -- अगर हम अभी भी अङ्रेजके अधिन होते -- तो हमारा इनाम भी आस्मान पे होता --



बैरे ए साम्भा  : रहने दिजिए न सर्दार --अङ्रेज आपको भी आस्मान पे पहुँचा दे ते तो?--


जिम्माल ए गब्बर  : सो तो है --  


बैरे ए साम्भा  : सुना है उस दिन कचहरी मै बहुत ताप मै थे --



जिम्माल ए गब्बर  : हाँ उस् दिन कचहरीमै ऐसा ताप मुझको --ऐसा ताप मुझको --



बैरे ए साम्भा  : काहे सर्दार?



जिम्माल ए गब्बर  : बुखार था न मेरेको --


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स्वस्ती गरे है।

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