Posted by: ritthe July 21, 2009
~ * चौतारी १५२ *~
Login in to Rate this Post:     0       ?        

अब्बे ए सडे हुये निम्बु पुरक ढिलेला इधर ज्यादा सान पट्टी नक्को कर्नेका ! चउतारि पे ज्यादा भाय गिरी दिखाया तो चउतारि के उसी पेड पे उलटा लटका के निच्चु से घोडा दबाएगा तो फिर तेरा खोपडी को जमिन कि नशिब भि नही होगी ! सम्झा क्या?



अबे वो सन्नो ! तु तो एकदम भाय लोग माफिक बात कररेहेली है रे ! पुरा बरोबर बोलरेहेली है ! बहुत स्मार्ट होगेली है रे तु ! लेकिन वो बन्नो को कल्मुँही नक्को बोलनेका ! देख तु तो मेरा दोस्त है, अगर कोइ दुशरा छोकरी वैसे बोली थि तो उसका तो अप्पन इधरिच गेम बजा डालता था !


चल् फिर एक गरमा गरम चाय पिला चल् !

Read Full Discussion Thread for this article