Posted by: सान्नानी July 21, 2009
~ * चौतारी १५२ *~
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गन्नु भाय कि जय हो

अरे ओ बन्नो किधरको ले गयी रे अप्ने काले थोपडेको कल्मुँही? चल आजा चौतारीमे गप्पे मार्ते है ...हाहा नरिसाउ है बन्नो

ठुल्दाइ तारेमाम, सन्चो भयो?

रिट्ठ भाय हठेला वा क्या मारेला है

ओय टिक्टक तु छोक्रा है कि छोक्री? अभी गन्नु को गुस्सा आया तो तेरेको हाथिका मुखडा लगा डालेगा क्या .. चौतारीमे रहेनेका है तो अप्ना नकली थोपडा फेँकके आ सम्झे? 

लहरे, पुरे, नेत्रे सब्की जय हो
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