Posted by: perfectionist July 21, 2009
~ * चौतारी १५२ *~
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<<<पुरक ढिलेला को भि अप्पुन प्रणाम करेरेहेला है ! दो लाइन मारके निकल गया पतलि गली से ! >>>

अबे एह रिट्ठे साणे, हमेसा बक्-बक कर्ता रे'ता है, कौन गया? अपन तोह इधरिच है, थोडा काम्-वाम भि कर्नेको मंग्ताइच कि नही? काम्-वाम खतम करके आ रेला हुँ, बोले तोह, सब खल्लास, सम्झे क्या?

तुमारा'च भि गेम बजा डालुँ क्या? उप्परसे, छे इन्च छोटा करदुँ? ज्यादा मच-मच नही करने-का, बाद मे मत बोल्ना कि भाई ने सम्झाया नही था!
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