Posted by: serial May 25, 2009
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कस्तो खाल को केटी हो यो नेहा
कथाकार जस्तै क्रेजी हो कि जस्तो लाग्यो,
निल ले यो गीत त्यो पार्टी मा गाएको भए ठ्याक्कै मिल्थ्यो
किसी पथर कि मुरत से
मुहबत का इरादा है
परस्तिस कि तमन्ना है
इबादत का इरादा है
जो दिल कि धड्कने सम्झे
ना आन्खो कि जुबा सम्झे
नजर कि गफ्तगु सम्झे
न जज्बो का बँया सम्झे
उसिके साम्ने उसकी सिकाएतका इरादा है