Posted by: serial March 5, 2009
~चौतरी १४१~
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तेरे होतोँ से लगकर एह हावा शराब बन गैइ
अन्खोँ से लगकर एह हिजाब बन गैइ
और गालोँ से लगकर एह गुलाब बन गैइ
सच हाइ कह्ती है एह दुनियाँ जानेमन
कि मुझ्से मिल्कर तु लाजवाब हो गैइ 
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