Posted by: Nepe December 23, 2008
Himal Media Journalists attacked
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तँ नआएको भए म भर्‍याङ बनाउँदैन थिएँ होला

पर्खाल, मेरो मार्गमा आएकोमा धन्यवाद छ तँलाई

 

यी पंक्तिहरु कवि कुँअर बेचैनका हुन् । स्पष्टै छ, सबै स्तरका पाठकका लागि होईनन् ।

 

Nepe

 

पुरा गजल:

 

 

ग़ज़ल

 

चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया

पत्थर को बुत की शक्ल में लाने का शुक्रिया

 

जागा रहा तो मैंने नए काम कर लिए

ऐ नींद आज तेरे न आने का शुक्रिया

 

सूखा पुराना जख्म नए को जगह मिली

स्वागत नए का और पुराने का शुक्रिया

 

आती न तुम तो क्यों मैं बनाता ये सीढ़ियाँ

दीवारों, मेरी राह में आने का शुक्रिया

 

आँसू-सा माँ की गोद में आकर सिमट गया

नजरों से अपनी मुझको गिराने का शुक्रिया

 

अब यह हुआ कि दुनिया ही लगती है मुझको घर

यूँ मेरे घर में आग लगाने का शुक्रिया

 

गम मिलते हैं तो और निखरती है शायरी

यह बात है तो सारे जमाने का शुक्रिया

 

अब मुझको आ गए हैं मनाने के सब हुनर

यूँ मुझसे `कुँअर' रूठ के जाने का शुक्रिया

 

- कुँअर बेचैन

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