Posted by: crazy_love September 23, 2008
~ * चौतारी-१२९*~
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अहम् डक्टरम् नभयन्ती। परन्तु जबम् लहरेस्य हातम् चिलायन्ती, अहम् छक्कम् परोन्ती। गूगल्म करोती, रहस्यम् जानोतीम्। लहरस्य अबस्यम् लुतो भबन्ती। नत्र हातम् किन बिना कारण चिलायन्तिम्।

अहम् मुखम् बन्दो करोती, हाँसोती तो झिङाम् पसोती, न हाँसोतम् तो मुर्छाम् परोती।

सानानी, चेली भगिनस्य एबम् सबैम् भाता श्री को प्रणाम करोती।

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