Posted by: ritthe August 27, 2008
** चौतारी १२७ **
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ओये होये बिर्खा पाजी, तुस्सी कैसे हो जी?

ओये तुस्सी ना बहुत रोज बाद चोतारि मै आया तो चोतारि का रौनक बढ्गीया !

ओये तुस्सी बाल भि काट डाला जी ! कित्थे सोणे लागे छोटे छोटे बाल मै !

ओये होये !

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