Posted by: तिका: August 19, 2008
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अरे चना भैया,
यह बहुत अच्छा क्वैशन है । हम तो थारु का हि वकालत करेँगे, फिर कोइ बात नहि, हिन्दी भि सीख रहा हुँ ।
लगता है आपने बाहुन लोगोंका पहेचाने नहिं है । मेरे खयालमेँ बाहुन लोगोको अपना देशि भाषाओंमे इतना नफरत है कि वह हिन्दीको वोट देनेको तयार होगा लेकिन नेपालके अन्य दुसरे भाषाओंका समर्थन कभि नहिं करेगा । अगर उन्हे भारतसे कुछ ज्यादा हि नापसन्द है तो वह बाहुनलोग संस्कृतका नाम लेगा । प्रदिप नेपाल बाहुन, यज्ञनिधि दहाल बाहुन मोदनाथ प्रश्रित बाहुन लोगोंने मिलके संस्कृतको कैसे जबरजस्ति रेडियौ और एजुकेशानमे डाल दिया, मालुम है ना ?
अब आप नेँ संस्कृतको लिखा हि नहि, बाहुन लोग जरुर नाखुस होगा ।