Posted by: serial July 29, 2008
~ चौतारी १२४ ~
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प्राण फुस्कनदिनुहुन है बजे
मार्त्रोल खोइ कस्नु परो -
मार्त्रोल दिमाग खुस्क्या लाई नि हुन्छ है बजै

ल ठुल्दै अनी बजै सुन्तु परो - निन्द्रा लागो -
भोली कुरा गरौला -
अनी बजै मेरो रिकुएस्त अक्सेप्त गर्या खोइ
अनी जिम्बाल ले नि गर्या छैन है - भन्दिनु -

शुभरात्री
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