Posted by: तिका: July 26, 2008
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अच्छा bahunkto भैया, इतना सवाल पुछ लिया कि लगता है तुझे लम्वि लेक्चार देने पडेगी ।

सुनो, बाहुन एक जात है, सम्प्रदाय नहिँ है क्यूँकि उनमे से बैश्य बाहुन,   सुद्र बाहुन और क्षत्रीय बाहुन नहिँ होता है । जैसि, सन्यासि, उपाध्याय बाहुन जात के भितर का ग्रुप है जो बाँकि क्षत्रिय वैश्य और सुद्र से उँचे के जाति मानते है ।

नेवार और थारु और किराँत और मैथिल और भोजपुरी और अवधि और गुरुङ सभि अलग अलग सम्प्रदाय है । जात नहिँ है । इसिलिए मैथिल, भोजपुरी, नेवार, और अवधि सम्प्रदाय मेँ बाहुन से सुद्र तक सभि है, जैसे कि नेवार बाहुन नेवार बैश्य, नेवार क्षत्रि, नेवार सुद्र जो तु कन्फुज हो रहा है  । वैसे हि किराँत, गुरुङ और थारु सम्प्रदायके अन्दर भि बाहुन से सुद्र तक का उँचा और निचा जात है । लेकिन वह थोडा सा गोलमाल है । मैथिल, भोजपुरी, अवधि और नेवार सम्प्रदाय मे हिन्दु वर्णाश्रमका अधिक प्रभाव रहा ।  किराँत, गुरुङ, थारु और मगर सम्र्पदाय मै हिन्दु वर्णाश्रम कि प्रभाव कम रहा, यह सम्प्रदाय उन्हिका धर्म और थोडा हिन्दु और थोडा वुध धर्म के प्रभावमा मे रहा ।  नेवार मे भि बुध धर्मके प्रभाव  रहा ईसिलिए उनके वीच यह वर्णाश्रम गोलमाल दिखाइ पडता है ।

इन सँभि सम्प्रदायके बाहुन मेँ से पर्वते बाहुन सबसे खराब है । जिसको तु ने पहाडि खस बाहुन बोला । जव तु नेपाल कि हिस्टारीको गौर से अध्ययन करेगा, वहाँ बाहुन का रोल हि दिखेगा । छल कर के द्रव्य शाहको राजा बनाने वाला भि बाहुन, और इण्डिया के दलालि करके शाह राजाको हटाने वाला भि बाहुन । मदिसेको राष्ट्रपति बनानेवाला भि बाहुन । ठकुरी बोलके शक्तिशाली क्षत्रियोँको बाँकि क्षत्रिसे उपर रखने वाला भि बाहुन । और क्षत्रियोँको बाहुनमे मिलाकर उपर दिखाने भि बाहुन । यह बाहुन पोलिटिसियन ने अपने फायदेके लिए बहुत उँचनीच किया है ।

क्षत्रियोँकि भितर ठकुरी और राजसंस्थाके आसपास रहा खान्दान करीव २-४% है । यह २-४%का उँचा  क्षत्रियोने सभि सरकारी जागिर बडे बडे सम्पति और उँचेका पद लेके बैठे है । लेकिन यह आम क्षत्रियो से फरक है, क्युँकि यह तो बाहुनने सरपे चढाया राजखान्दान के नजदीक होनेका फायदामेँ है । ऐसे तथ्याङक मे आम क्षत्रीयोँ और खानदानी अल्प क्षत्रियोको इकट्ठा रखने से आम क्षत्रियोँको धोका हो रहा है । क्यूँकि तथ्याङकमेँ उनको उपर दिखाइदेगा लेकिन जनसंख्या और समानुपातिकके नजरसे देखो तो यह आम क्षत्रियोँको बहुत कम अवसर मिला है । यह वात आम क्षत्रियोँको मालुम पडना चाहिए ।

 

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