![](/wysiwyg/editor/images/smiley/msn/thumbs_up.gif)
![10 more flags than likes deactivates post.](/wysiwyg/editor/images/smiley/msn/thumbs_down.gif)
हाँ म्याडी भैया, हमने बाहुन को नेपालके आदमी नहिँ है, और बाहुनकि भाषा नेपाल के भाषा नहिँ है - ऐसे कभि कहा नहि है । लेकिन हमारा आव्जर्भेसन जो है, जब से बाहुन लोग राजनीति मै सबसे उपर रहि तबसे नेपाल निचे गिरना शुरु हुआ । अब गिरते गिरते इतना गिरा कि नेपाल एक स्वतन्त्र देश से पराधिन हिन्दि प्रदेश बन बैठा - फिर भि यह बाहुन नेता लोग जो है, वहि अपुनको अब्बल मानता है ।
आपको हमारा बात मेँ racial barriers और slurs दिखाइ दिया तो आप यह किच्चड बाहुन नेता लोगोँने बनाया हुआ बैरियरके अन्दर अभि भि पडा है । उससे बाहर आके देख लेँ तो आपको अच्छे नजर आएगि, कैसे यह किच्चड बाहुन नेताओँ अन्दर से मिलजुल के यह सब कर रहे है ।
पर्वते भाषा बोल लेने वाले दलितका हाल देखो, उनको इतना गरीव और अशिक्षित कौन बनाया ? क्षत्रियका बात दुसरा है । जब व हतियारधारी और ताकतबर था बाहुन ने उनको सरपे चढाया । लेकिन उनको अच्छे अवसरोँ से बञ्चित किया । आज देखो, नेपाल कि बात कर रहा हुँ मै । नेपालमे क्षत्रि सबसे बढा समुदाय है - करीव १६% क्षत्रि और १२% बाहुन है । लेकिन आप को मालुम है? अगर आप क्षत्रियोँको सरकारी जागीर, ब्यवसाय और अवसरोँके क्षेत्रमेँ देखेँ तो १६% तो क्या २% भि नहि है । सबसे ज्यादा बाहुन है, दुसरे ज्यादा नेवार है । क्षत्रियोँका मुख्य पेशा तो खेति किसानि है । मेरे हिसाब से नेपाल के सबसे बडा दलित समुदाय तो क्षत्रियोँको होने चाहिए था, लेकिन यह क्षत्रियोँ तो बाहुनके पिछे पिछे भागता है क्युँ कि वह बाहुनका बेइमानीको पहेचान हि नहि रहे है । समावेशी और समानुपातिक, यहि वात किया है ना बाहुन नेताओँ ने, लेकिन वह किधर है ? सला २% भि नहि मदिसेको ८% से जादा सीट दे दिया । और क्षत्रि कितना है रे ? सला १६% से ज्यादा क्षत्री पुपलेशन, लेकिन उनका आदमी ६% है संविधान सभा मे ।
अच्छा मैले बहुन लम्बा बात किया । मेरे मानना है कि बाहुन नेताओ को नं १ बनाना हि नहि चाहिए, हाँ नं २ तक ठीक होगा । नं १ मै क्षत्री और थारु और गुरुङ होना चाहिए । लेकिन जब तक बाहुनको विरोध नहि करेँगे उन्होने दुसरे को कभि आगे जाने नहि देगे । देखो काँग्रेस, कम्युनिष्ट और माओबादिमै सभि बाहुन नेताओ ने कैसे पार्टीको हाइज्याक किया ? जो भि सिद्दान्त कि बात करो लेकिन बाहुन नेता का आनिबानी वैसे हि होता है - इसमे मुझे कोइ फरक दिखाइ नहि देता ।