Posted by: Rahuldai July 14, 2008
~चौतारी - १२२ ~
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चांद भि देखा
फूल भि देखा बादल

 बिजली तितली जुगुनु
कोइ नहीं है एसा
तेरा हुश्न है जैसा।

मेरी आखों ने चुना है तुझ को दुनियाँ देखकर
किस का चेहरा अब में देखुं   तेरा चेहरा देखकर 
 
यो भन्दा सुन्दर सिर्जना केही हुन सक्छ?

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