Posted by: Rahuldai July 11, 2008
~चौतारी १२१~
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अब एउटा दर्द भरे गाना राख्न मन लाग्यो।

दिल एसा किसी ने मेरा तोडा,
बर्बादी कि तरफ एसा मोडा
एक भले मानुष को
आमानुष बना के छोडा

सागर कितना मेरे पास है
मेरे जीवन मे फिर भि प्यास है
है प्यास बडी, जीवन थोडा

एक भले मानुष को
आमानुष बना के छोडा

कहते है दुनियाँ के रास्ते
कोइ मन्जिल नही तेरे वास्ते
नाकामियो से नाता मेरा जोडा

एक भले मानुष को
आमानुष बना के छोडा


डुबा सूरज फिर से निकले
रहता नही है अंधेरा 
मेरा सूरज एसा रूठा
देखा न मेने सबेरा
उजालों ने साथ मेरा छोडा  
  एक भले मानुष को
आमानुष बना के छोडा 

 


 
 

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