Posted by: ritthe July 9, 2008
~चौतारी १२१~
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अभी ना जाओ छोड्कर के दिल अभी भरा नही
अभी अभी तो आयि हो बाहार बनके छायी हो
हावा जरा मेहेक ने दो ये दिल जरा बहेक ने दो
ये साम ढल तो ले जरा ये दिल सम्हल तो ले जरा
अभी तो कुछ कहाँ नही अभी तो कुछ सुना नही 
बुरा ना मानो बात का ये प्यार है गीला नही
अभी ना जाओ छोड्कर के दिल अभी भरा नही

बाइ पिया

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