Posted by: Birkhe_Maila July 2, 2008
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दामी छ ठूल्दाई!
आज कताबाट पुरानो घाऊ बल्झेछ दाईलाई फेरि??? इलाहाबादको सडकको याद आयो जस्तो छ
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बिषेश अनुरोधमा बोनस सिन – ""पुन्टे बुढा (लोग्नेमान्छे) ले नुहाएको"" पर्सि सम्ममा ल्याउने जमर्कोमा छु।
धन्यवाद्!
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