Posted by: miss_ me July 2, 2008
--कथा चौतारीको--
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लौ न यि जिम्माल बा सअ नसकिने भओ। कत्ति मात्रै जानेओ बाबै।

 हेर त हाम्री सब्बुलै के के जाती--- 

 पर्खिनुस न जिम्माल बा हउरको पाली नि आम्च नि फेरि 

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