Posted by: *~Spring~* June 4, 2008
~चौतारी ११८~
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रिठे काणा- " भाई लगता है बाहर कुछ कायँकायँ होरेला है!"

गन्नुभाई- "काहे कु रे?"

रिठे काणा- " मेरे कु वो छोकरी और रंगिला झगडते हुवे सुनाइ दिया!"

गन्नुभाई- " वो रंगिला छोकरीको छेडा तो नहिँ?"

रिठे काणा- "मालुम नहिँ भाई!"

गन्नुभाई- " चल बाहर!"

(बाहर आते हैँ)

सन्नो- "गन्नुभाई तेरे गैंगमे छोकरीकि कोइ इज्जत नहिँ हेंगा क्या? साला बहुत बडा गैंग चलाता है रे तु पन एक छोकरीकि इज्जत नक्को रे!साला नासपिटे तु धरम वरमको भि घोडा खिलाके खलास किया का रे पापी?"

गन्नुभाई- (तिलमिलाकर) " अबे ये छोकरी क्या बकरेली है? कब से चुप बैठेला हुँ भेजा खारेली है! हटा  सब गैंगका वसुल वसुल और घुसादे इसकि कनपटीपे एक कैप्सुल! जब देखो कायँकायँ कररेली है कररेली है, जिनेका नहिँ है क्या तेरे कु???"

सन्नो- (माथा पिटते हुये) " हाय रे हाय! मेरे नसिबमे यहिच लिखा है मालुम था मेरे कु! साला सडकछाप मवालि तो मवालि, साला गैंगका भाइ भि गरिब छोकरी पाकर  मरदान्गि दिखारेला है!साले सारे के सारे मवाली लोग काट रे मेरे कु तब जाकर तेरे कलेजा ठन्डा होनेका है तो!हाय रि मेरि किस्मत सबेरे से अकेलि छोकरी एक भैँस लेकरके बेचनेको चलरेलि है और हरामि पब्लिक है कि मेरेको घुररेली है!सोचा ये नासपिटे गन्नुभाई बडा डाँन है अपुनका भैँस खरिदलेंगा और अपुनकि पनौती धुल जाएंगा, पन मैइच गलत थि, साला मवालिके खोलिपे भैँस बेचनेको आई!! दैया रे दैया, मेरेकु काहे कु नक्को उठाया रे देवा तु??"

गन्नुभाई- (थोडा शान्त होकरके) " अरे सुन बे छोक्...सन्नो! जब साला अपुन तेरा भैँस खरिदनेके वास्ते माथा भिडारेला है तो बिचमे टाँग मारके काहे कु दिमाग कि मा बहन कररेली है रे तु?"

सन्नो- (हर्के रंगिलाकि तरफ इशारा करके)" पुछ रे गन्नुभाई अपने इस दो टकेकि बुझरेली आरतीको!अब्बि आरेला है साला मेरे कु नौ से बारहका पिक्चर चलनेको बोलरेला है साला मवाली!"

गन्नुभाई- (हर्के रंगिलाको देखकर्) "क्या रे छिपकली कि दुम,तु क्या किया रे इस छोकरी कु?"

हर्के रंगिला- " अपुन कुछ नहिँ किया भाई, बोले तो कैसि है क्या कररेली है वहिच सबकुछ पुछरेला था, और वहिच पहले सुरु होगेलि थि भाई!"

गन्नुभाई- " अबे जंग लगे काँटी, साला छोकरी देखि नहिँ कि मस्ति सुझि तेरे कु? सुन् बे,ज्यादा ना मटक और अपुनकि बात गलेमे सटक्! ये जो छोकरी इधरको बैठेली है न,वो अपुनका मेहमान बोले तो गेस्ट है! अपुन सबकि बाट लगाएंगा पन अपनिइच मेहमानकि नक्को!तेरे भेजेमे घुसरेली है न मेरि बात?"

हर्के रंगिला- " दुरुस्त बोला भाई!"

गन्नुभाई- " तो जल्दिसे भितरको कलटी मार और मेरे कु एक बडा वाला पैग बना!"

सन्नो- " और मेरे से माफी भि मांगनेको पडेंगा, हाँ!"

हर्के रंगिला-(सन्नोको देखकर) " माफि काहे कु रे? माफी काहे कु? भाइ एक बात क्या बोला तितली सुरु होगेली फिर! अपुन माफी मागेका क्या तेरे से? हर्के रंगिला तु कल की छोकरीके संग माफी मागेंगा??? भेजा सटकगेला है क्या तेरा?? अपुन कियाइच कुछ नहिँ तो काहे कु माफी मागेंगा रे?? तेरेको कौन बोला कि ये आधि खुलि त आधि बन्द लेहङ्गा लगाके आनेका इधर?? छोकरा लोग तो देखेंगा हि, देखके छेडेंगा हि!माफी मांगना पडेंगा बोलरेलि है लौंडिया! हर्के रंगिलाके लाइफमे कोइ छोकरीके साथ माफी नक्को!!! अब्बि भाई बोलरेला है इसलिए जारेला हुँ, कब्बि तो दिखेगि न तु खन्डालाकि झोपरपट्टिमे?"

गन्नुभाई-" अबे साले पतझडके सडेले पत्ते, तु काहे कु फिर इस छोकरीके संग माथापच्चि करलेला है, जल्दि से खिसक और एक ड्रिङ्क ला के दे मेरे कु!"

हर्के रंगिला- " अब्बि लो भाई!"

सन्नो- (रोरेली है) "सुबक....सुबक"

गन्नुभाई- "अबे, अब तु काहे कु निरुपा राय कि माफिक रोरेली है?"

सन्नो- "सुबक... सुबक...भैँस भि मेरा नक्को बिकनेका!सुबक... सुबक...मवाली लोग भि मेरेइचको छेडनेका...सुबक सुबक..!"

गन्नुभाई- "अरे चुप हो जा रे! अपुन खरिदेगा तेरा भैँस! काहे कु रोति है रे तु? एक भैँस क्या साला पुरा का पुरा तबेला खरिद लेंगा अपुन तेरा...!

रिठे काणा- " भाई वो..!"

गन्नुभाई- " सुनरेली है क्या तु छोकरी? एक भैँस क्या पुरा का पुरा तबेला खरिदेंगा अपुन तेरा..!"

रिठे काणा- " भाई वो..!"

गन्नुभाई- "अबे भुतमहलके आखिरि आत्मा, साला इधर अपुन इमोशनल होके छोकरिको बोलरेला है, तु साला बिचमे काहे कु सर कटि बकरेके माफिक मिमियारेला है? घुसा दुँ क्या एक कनपटी पे?"

रिठे काणा- " भाई वो आप तबेला बोला न भाई, तो अपुन बोलनेका था कि, तबेला जो हेंगा वो घोडे का हेंगा भैँसका तबेका नक्को हेंगा!"

गन्नुभाई- " अबे वो सैरियल लङ्ग्डा, वो उधर एके४७ है उठाके ला,, और इस काणेके सर से पावँ तक सुराख बना! जल्दी कर! साला अपुन इमोशनल होरेला है और ये हरामि अपुनको सिखारेला है!"

सैरियल लङ्ग्डा- " भाई जाने दो न भाई, काणा अपुनका आदमि है भाई, गलती होगेला न भाई, एक बार जाने दो न भाई!"

रिठे काणा- " गलती हो गेला भाई, रहम करो!"

गन्नुभाई- " ठिक है एक बार छोडरेला हुँ, दुसरी बार नक्को! जा अन्दर जा के डेढफुटिया से एक पेटि ले कर के आ, अपुन बोले तो इस छोकरी कि भैँस खरिदरेला है!"

सैरियल लङ्ग्डा- " भाई अपुन क्या सुनरेला है भाई? एक भैँसका एक पेटि भाई? कुछ ज्यास्ति नक्को हुवा भाई?"

गन्नुभाई- " गन्नुभाई जब इमोशानाल होगेला है तो कुछ ज्यास्ति नक्को! मेरे कु ये गंगा जमना बहाति हुवि छोकरी पसन्द आगेली है, चल जल्दी से एक पेटि ला!"

(सैरियल लङ्गता जाता है और एक पेटि उठाके लाता है,गन्नुभाई सन्नोको पेटि देता है और भैँसको खुँटिसे बाँधता है)

गन्नुभाई- " चल छोकरी ये एक पेटि तेरेकु दिया मै, खुस हो जा!"

सन्नो- " हाय मै मरजावाँ! गन्नुभाई तेरे बच्चे जिएँ, तेरे सरपे बुढापे मे भि एक भि बास सफेद ना हो! तु बहुत बडा डाँन बने!"

गन्नुभाई- " हाँ चल अब चलिजा यहाँ से! तेरे पास मोबाइल हेंगा क्या?"

सन्नो- "काहे कु मोबाइल गन्नुभाई?"

गन्नुभाई- (इधरउधर देखकर)" अरे चुप कर् धिरे बोल! वो क्या है कि, अपुनको तु पसंद आगेली है, बोले तो मोबाइलपे वन टु फोर वन टु फोर करनेको मांगता!"

(सन्नो मोबाइल नम्बर देति है और उधरसे कलटि मारति है! गन्नु गाना गाता हुवा अन्दर जाता है- "शरमाना छोड डाल, बात दिलकि खोल डाल, आजु बाजु मत देख, आइ लाँव यु बोल डाल")

कुछ देर बाद----

सन्नो दुर जानेके बाद, मोबाइलपे किसिसे बोलति है-

सन्नो- " बिर्खे भाई बिर्खे भाई?" "हाँ" "अब्बि भैँस लेकरके गइ,गप्पे मारि,गन्नु नासपिटेको बातमे फँसाइ, एक पेटि लि और आई!" " कहाँ भाई? राहुलभाईकि खोलिमे?" "ठिक है भाई मै अब्बि आई" "हेँख हेँख हेँख भाई" " बेचारा गन्नु, बोले तो मेरे पे फिदा था साला, मोबाइल नम्बर मागरेला था, अपुन पागलखानेके नम्बर दे आई" "हेँख हेँख हेँख भाई, अपुन बइन किसकि भाई? हेँख हेँख हेँख"

लोल!

 

Last edited: 04-Jun-08 10:28 AM
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