Posted by: Rahuldai May 30, 2008
चौतारी - ११७- भौते, चित्रे र ठुलीको खोजीमा
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चाँद भि देखा, फूल भि देखा
बादल बिजिली तितली जुगुनु
कोइ नही हे एसा,
तेरा हुश्न जैसा।

मेरी आखों ने चुना है तुझको दुनियाँ देख कर
किस का  का चेहरा अब में देखुं, तेरा चेहरा देख कर
 

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