Posted by: Birkhe_Maila May 27, 2008
चौतारी - ११७- भौते, चित्रे र ठुलीको खोजीमा
Login in to Rate this Post:     0       ?        

गन्नुभाई- " अबे वो काणा! ये बोले तो अख्खि काठमान्डुमे ये पब्लिक आज क्या कररेली है?"

रिठे काणा- " भाई वो स्वरगकि गन्नुभाईकि मन्दीरपे है न भाई वो सब पब्लिकलोक लड्डु चढारेलला है!"

गन्नुभाई- " काहे कु?"

रिठे काणा- " भाई वो पब्लिक समझती है कि भाईको लड्डु बहुत पसंद है!"

गन्नुभाई- " ये कौन बोला रे पब्लिक को?"

रिठे काणा- " भाई वो कोइ नहिँ बोला, वो सब तो धरम करके कोहि गरन्थमे  पडेलि है!"

गन्नुभाई- " तो जो बात गरन्थमे पडेलि है वो सब पब्लिक लोग कररेलि है क्या?"

रिठे काणा- " कररेली है न भाई, बोले तो आज चौतारीमे आपइचकि बात होरेली है!"

गन्नुभाई- " चौतारीमे क्या बोलति है पब्लिक लोग?"

रिठे काणा- " आज अब आपका दिन आगेला है न भाई, तो अख्खि चौतारीके लोग सब गन्नुभाई गन्नुभाई बोलरेली है!"

गन्नुभाई- " तो अपुनका किरेज बोले तो सब दुनियाँमे बटरेली है?"

रिठे काणा- " बिल्कुल भाई, चौतारीमे भाई एक बार लोग को भाई कुछ हाय हेल्लो कर दिजिए भाई फिर सब चांदि हि चांदि है भाई!"

गन्नुभाई -" हम्म्म ठिक बोला रे तु काणा, ..." ए चौतारीके पब्लिक लोग, चल तु सब बैठ्! अपुनका काम करनेका, अपुनको इज्जत देनेका और फायदेमे रेनेका! नहिँ तो अपुन...........समझता है न अपुन क्या बोलरेला है?"

रिठे काणा- " नहिँ गन्नुभाई, आप जो बोला वो चौतारीके पब्लिक नहिँ समझति है!"

गन्नुभाई- " तो?"

रिठे काणा- " वो बोले तो जदउ करनेको मांगता भाई!"

गन्नुभाई- " फिर ये जदउ क्या है?"

रिठे काणा- " भाई बोले तो चौतारीके लोग हाय हेल्लो करनेका तिकडम है!"

गन्नुभाई- " ये जदउ साला कैसे हाय हेल्लो हुवा रे?"

रिठे काणा- " अपुनको भि नहिँ मालुम भाई,, पन करनेको तो पडेंगा न भाई, लोग वहिच जुबान समझते हैँ!"

गन्नुभाई- " अरे वो चौतारीके साणे लोग, जदउ रे जदउ, क्या! अबे लाल सर्ट कानमे तेल डालके बैठेला है क्या? जदउ बोलरेला है अपुन जदउ! अबे अमिताभ बच्चन....ए...हाँ हाँ तेरेको बोलरेला हुँ लम्बु, सुनाई नहिँ दिया क्या? जदउ बोलरेला है अपुन जदऊ क्या! ए...पिलि साडि वालि बाई, इधर इधर....अरे...नहिँ नहिँ लाइन नहिँ माररेला है अपुन, बोले तो जदऊ कररेला है!....अरे वो, चस्मेवाले हिरो, जदऊ बोलरेला है अपुन जदऊ!!...अरे....अबे काणा, वो कोप्चेमे बैठेला खुसट बुढउ कौन है रे???

रिठे काणा- " कौन भाई? उस बाइँ तरफकि कोप्चेमे भाई?"

गन्नुभाई- " हाँ हाँ वहिच्! जो उखडे हुवे खम्बेके माफिक झुलरेला है और, भुखे कुत्तेके माफिक अपुनको घुररेला है, कौन है रे वो?"

रिठे काणा- " भाई! कलटि मार भाई कलटि मार! वो बोले तो बिर्खे सठिया है भाई, दुसरि गैंगका भाई है, उसिचका छोकरालोग मालुम पडता है भाई सभिच! कलटि मार भाई कलटि मार!!

गन्नुभाई- " अबे तु किधरको फँसाया रे मेरेकु? अपुन तेरेको नहिँ छोडेंगा अब्!"

रिठेकाणा- " ठिक है भाई, अपुनको तु गोलि मारना पन इधरसे खिसक भाई, जल्दि कलटि मार्!"

गन्नुभाई- " चल बे चुपचाप!"

 

Last edited: 27-May-08 09:09 AM
Read Full Discussion Thread for this article