रिठे काणा- " गन्नुभाई! गन्नुभाई! भाई तुम किधरको है?"
गन्नुभाई - " अबे भुतनी के, काहेको बिगडेला माइककि माफिक टायँ टायँ कररेला है? तेरा नाना खलास हो गया क्या?"
रिठे काणा - " नहिँ गन्नुभाई, अपुन एक झकास कि खबर लाएला है बाप्!"
गन्नुभाई - " तो काहेको बनारसि पानकी माफिक मुहमे चबारेला है, खबर थुक् डाल अब्बि!"
रिठे काणा - " भाई वो अपुनका हर्के रंगिला है न भाई, वो बोले तो लगता है सठिया गया है!"
गन्नुभाई- " काहे कु रे?"
रिठे काणा - " भाई अब्बि अपुनका छोकरा लोग बोलरेला था कि, हर्के रंगिला भिन्डि बाजारपे गेम बजानेके टेम पे पिला कोठीकि बाईके माफिक नाचरेला था!"
गन्नुभाई - " अबे का हुवा रै रंगिलाको, वो साणा तो गेम बजानेके टेमपे सबको सुअरके माफिक देखता था और वहिँच खलास करदेता था, वो नाचनेको काहेकु लगा रे?"
रिठे काणा - " भाई अपुनिचका एक छोकरा लगता है गद्दारी कररेला है बाप!वहि रंगिलाको नाचनेको लगाया भाई!"
गन्नुभाई - " कौन कमिना गलिके किडेको जिनेको नहिँ मांगता रे??? गन्नुभाई से गद्दारी कौन किएला है, साफ साफ बक नहिँ तो तेरेईच दिमागमे सुराख कर देंगा अपुन!
रिठे काणा - " भाई, वो सैरियल लङग्डा हैन भाई, भाई वो भाईसे पैसा लेता है और भाई कोइ बिर्खे भाईकि काम करता है भाई, वो उसका छोकरा बनगेला है भाई, बोले तो अख्खि भिन्डिबाजार मे गाना चिपकानेका काम कररेला है भाई! कोइ रस करके रंग बनारिया है भाई उसको!"
गन्नुभाई -" तो अपुनका रंगिला काहेकु नाचने लगा रे??"
रिठे काणा - " भाई बोले तो हर्के रंगिलाका दो पेच ढिला है भाई, कोइ सुअर और गानेकि बात करे तो भाई वो कुछ भि करेंगा भाई! अपनाइच छोकराको खलास भि कर सकेंगा भाई!"
गन्नुभाई - " सब मवालिको अपुन खल्लास करदेंगा!" "अब्बि हर्के रंगिला और सैरियल लंगडा अपुनकि नाकमे दम कररेला है, तु कुछ नहि बकने का, चुपचाप रहनेका, अपुन दुबईमे करिमभाईसे बात करेंगा और कमिनोँ कि गेम बजा डालेगा, कोहि गद्दार नहिँ मांगता अपुन!! " तु फोन लगा रे, दुबइमे करिमभाईको!!"