Posted by: Birkhe_Maila May 7, 2008
चौतारी- ११३ -- भुल्न सक्या भये मरीजाम :-(
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रिठाखान और नेत्राखानको अस्लाम आलेकुम! तशरिफ लाइए!

सर्जमिं-ए-चौतारी! आप सब खवातिनो हजरातको अस्लाम आलेकुम! चौतारीके दरिया-ए-आलममे तैराकीका हमारा मजहब बन गया है! हमे मुर्ग मुसल्लम और बिरयानीकि तलब लगि है, उससे खुराफात हो के फिर से इस रंग-ए-महफिलमे तशरिफ लाएंगे, तब तकके लिए, खुदा हाफिज!

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