Posted by: serial April 30, 2008
~चौतारी - ११२~
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गन्नु भाय:     वो रिट्ठे काणा,
रिट्ठे:             भाई बुलाया मुझ्को
गन्नु भाय:     कल क्युन नही टप्का तु इधर
रिट्ठे:              कल ना भाई, काल ना भाई
गन्नु भाय:      कल क्या? जल्दी बोल दाल वर्न छे के छे तेरी खोपदिमे उतार्दुगा
रिट्ठे:              कल मे, वो बाजुकी छम्मक छल्लो के साथ डेटिङ गया था
गन्नु भाय:       डेटिङ बोले तो
रिट्ठे:             डेटिङ बोले तो, लड्का लड्की घुम्ने जाते है ना, पार्कमे, चाइकी दुकान मे और..
गानु भाय:     और....
रिट्ठे:             और पेड के पिछे जाके कुचकुच कर्ते है
गन्नु भाय:     कुच्कुच बोले तो
रिट्ठे:             कुच्कुच माने ईंग्लिश मे चुमाचाती
गन्नु भाय:    उस्ने तेरे साथ.......
रिट्ठे:             नही भाई, ए सोच्ना भि पाप है, उस्ने नही मेने उस्के साथ किया,
गन्नु भाय:     वो कैसे मान गयी, थोपदा देख्के आ पहेले, अैने जाके
रिट्ठे:             क्या भाई, सब बोल्ते हे कि मे वो सल्लु नगा जेसा दिखता हे,
गन्नु भाय:      क्योन केहता हे
रिट्ठे:             सब भाई सब, कसम से
गन्नु भाय:       किस आङल से तु सल्लु दिख्ता है
रिट्ठे:              आङल बोले तो
गन्नु भाय:        आङल बोले तो.... आङल, अबे मुझे क्या मालुम, मे कोही प्रोफेसर हुन क्या
रिट्ठे:              तुम्हिने बोला आङल,
गन्नु भाय:          अबे बोले ने मे क्या है, बोल्नेको  पैसा थोडा हि लग्ता है,

Last edited: 30-Apr-08 02:12 PM
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