Posted by: Rahuldai April 23, 2008
~चौतारी - १११ ~" ;
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जहाँ हर दिन सिसकना है, हर रात गाना है


हमारी जिन्दगी भि इक तवायफ का घराना है


बहुत मजबू होकर, गीत रोटी के लिखे मैंने,

तुम्हारी याद का क्या है उसे तो रोज आना है।

 

लालेमाम बिस्टे, नेत्रे,

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